06 June 2011

अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल'

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !
खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!

मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!

शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!

उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे !!

लोग चेहरे के ता अस्सुर से समझ जाते है !
हाले दिल अपना छुपाऊं तो छुपाऊं कैसे !!

गुफ्तगू करने का मौक़ा ही नहीं मिलता है !
उनसे मै बात बढाऊं तो बढाऊं कैसे !!

अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल' !
उसको मै अपना बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!

No comments:

Post a Comment